New Year 2025 में श्री दरबार साहिब में श्रद्धा की बाढ़, लाखों भक्तों ने सिर झुका कर किया आशीर्वाद प्राप्त
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New Year 2025 के आगमन के साथ ही गुरु नगरी श्री दरबार साहिब में श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। देश-विदेश से लाखों की संख्या में संगत ने श्री दरबार साहिब में आकर गुरुग्रंथ साहिब के चरणों में श्रद्धा निवेदित की। यह दृश्य न केवल भारतीय संस्कृति और धर्म की शक्ति को दर्शाता है, बल्कि गुरु नानक देव जी के संदेश और सिख धर्म की व्यापकता को भी उजागर करता है। लाखों श्रद्धालुओं ने इस विशेष अवसर पर सिर झुका कर गुरुवाणी का श्रद्धापूर्वक श्रवण किया और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।
श्री दरबार साहिब में श्रद्धा का सैलाब
जैसे ही नए साल की रात का आगमन हुआ, श्री दरबार साहिब की ओर श्रद्धालुओं का तांता लग गया। जानकारी के अनुसार, रात 9 बजे से लेकर 12 बजे तक 2 लाख से अधिक श्रद्धालु श्री दरबार साहिब में पहुंचे। यह संख्या केवल उस वक्त की है जब रात के सन्नाटे में भी लोगों की लहर सी बहती रही। इतनी भारी संख्या में संगत आने के कारण श्री दरबार साहिब के परिसर में एक कदम चलने की भी जगह नहीं बची थी। हर दिशा में केवल श्रद्धा, भक्ति और विश्वास का एक अद्वितीय दृश्य था। लोग एक-दूसरे को रास्ता देते हुए अपनी आस्था को महसूस करने के लिए हर पल हर कदम पर गुरुवाणी का पाठ करते रहे।
गुरु दरबार में उमड़ी श्रद्धा की भावना
श्री दरबार साहिब में श्रद्धालुओं का एक अद्भुत जोश और उल्लास देखने को मिला। संगत गहरे श्रद्धा भाव में डूबकर ‘वाहेगुरु’ का जाप कर रही थी। जैसे ही रात के 12 बजे का समय आया, पूरे श्री दरबार साहिब में ‘जो बोले सो निहाल’ का उद्घोष हुआ। हर एक भक्त के चेहरे पर खुशी और आशीर्वाद की एक नई चमक थी, जैसे ही वे गुरु के दर्शन करने के लिए बढ़ रहे थे। इस अद्वितीय दृश्य ने उस पवित्र स्थल की महिमा और उसके प्रति श्रद्धा को और भी बढ़ा दिया।
श्री दरबार साहिब की दिव्यता और भक्ति की गहराई ने सभी को अभिभूत कर दिया। संगत के प्रत्येक सदस्य ने अपने जीवन की सारी चिंताओं को गुरु के चरणों में समर्पित कर दिया। रात के इस विशेष समय में जब दरबार के दरवाजे बंद हुए, तो श्रद्धालु अपने दिलों में और अधिक भक्ति की भावना लेकर लंगर हॉल की ओर बढ़ने लगे।
लंगर हॉल में श्रद्धालुओं की सेवा
जब श्री दरबार साहिब में संगत की इतनी बड़ी संख्या देखने को मिली, तो सेवदारों ने भी सेवाओं को बढ़ाया। लंगर हॉल में बैठने के लिए अधिक से अधिक जगह बनाने के लिए नए कमरे खोले गए। जहां भी जगह मिली, संगत ने वहां बैठकर लंगर का आनंद लिया। यह लंगर, जो सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, न केवल श्रद्धालुओं के शरीर को तृप्त करता है बल्कि आत्मा को भी शांति प्रदान करता है।
लंगर में बैठकर संगत ने एकता और भाईचारे का प्रतीक यह संदेश दिया कि सिख धर्म में सभी इंसान बराबर हैं और किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं है। यह नजारा सचमुच मानवता की सेवा और गुरु के सिखाए गए रास्ते पर चलने की प्रेरणा देने वाला था।
सिख धर्म का संदेश और समाज में उसकी भूमिका
श्री दरबार साहिब में उमड़ी श्रद्धा और भक्ति का यह पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं था, बल्कि यह सिख धर्म के उस अद्वितीय संदेश को दुनिया के सामने लाने का एक अवसर था। सिख धर्म का मूल संदेश भाईचारा, सेवा और एकता पर आधारित है। गुरु नानक देव जी ने हमें यह सिखाया है कि ईश्वर एक है, और हर इंसान को उसी की तरह सम्मान और प्रेम से देखा जाना चाहिए।
नए साल के पहले दिन श्री दरबार साहिब में श्रद्धालुओं का यह मिलाजुला दृश्य समाज को यह याद दिलाता है कि हम सभी एक ही परिवार का हिस्सा हैं और एक दूसरे के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। चाहे हम कहीं से भी आएं, हमारी पहचान हमारे कर्मों और हमारी आस्था से बनती है, न कि हमारे भौतिक रूप से।
गुरुद्वारे की महिमा और श्रद्धालुओं का प्रेम
श्री दरबार साहिब, जिसे अमृतसर का स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है, सिख धर्म का सबसे पवित्र स्थल है। यह केवल सिखों के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक पवित्र स्थान है। यह गुरुद्वारा अपने आप में एक चमत्कारी शक्ति रखता है, जो लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां की दिव्यता और शांति ने न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर से लोगों को अपनी ओर खींचा है।
नए साल के अवसर पर श्री दरबार साहिब में जो दृश्य उत्पन्न हुआ, वह न केवल धार्मिक था, बल्कि यह समाज में एकता और प्रेम का संदेश भी था। जहां एक ओर लोग अपनी अलग-अलग परंपराओं और संस्कृतियों से आते हैं, वहीं वे सभी एक ही लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं—ईश्वर की कृपा प्राप्त करना।
नए साल 2025 के पहले दिन श्री दरबार साहिब में श्रद्धा का जो महापर्व हुआ, उसने न केवल सिख धर्म के अनुयायियों को बल्कि पूरी दुनिया को एकता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। लाखों भक्तों ने अपनी श्रद्धा और आस्था से इस दिन को यादगार बना दिया। यह दृश्य यह दिखाता है कि जब किसी समुदाय में विश्वास और श्रद्धा की भावना गहरी होती है, तो वह समाज को एक नई दिशा दे सकती है।
इस दिन ने यह सिद्ध कर दिया कि भक्ति और विश्वास का कोई अंत नहीं होता, और यह हर किसी को अपने जीवन में शांति, समृद्धि और प्रेम की दिशा में अग्रसर करने के लिए प्रेरित करता है।